Sunday, January 14, 2018

अघोषित आपातकाल

 लोकतंत्र खतरे में 👉
जी हां सही सुना यही शीर्षक है लोकतंत्र खतरे में -

     आज हमारा भारत देश जिसे हम लोकतांत्रिक देश कहते हैं उस देश की लोकतांत्रिकता खतरे में है आज पूरे देश में जो स्थिति है  वह अघोषित आपातकाल जैसी है।

     देश को सुचारु और नियंत्रित रूप से चलाने के लिए जिन विभागों की अति-आवश्यकता होती है, वही उनकी महत्ता व उनका सुचारू व स्वतंत्र रूप से कार्य संचालन करना अति महत्वपूर्ण है।एैसे कई महत्वपूर्ण विभाग हैं जिनमें से एक "इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया" दूसरा है देश की मुद्रा को सुनिश्चित करता "रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया" और तीसरा है जो देश में बढ़ते क्राइम बढ़ती अनियमितता को सही व स्वतंत्र रूप से जांच करके सही निर्णय देना होता है वह है "सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन" और चौथा है न्यायपालिका जोकि "भारत रत्न बोधिसत्व बाबा साहेब डॉ भीमराव अंबेडकर" द्वारा निर्मित इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन यानी "भारतीय संविधान" संविधान के अनुसार ही पूरे देश के विभिन्न विभिन्न विभागों में नियम व कानून बनाए जाते हैं और संविधान के दायरे में रहकर ही कार्य किया जाता है हमारे देश की न्यायपालिका - सर्वोत्तम न्यायपालिका है जिसे हम "सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया" कहते हैं। जिसके अंतर्गत मुख्य न्यायाधीश जिन्हें "चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया" कहते हैं उनकी देखरेख में संचालित किया जाता है कोई भी संस्था कोई भी विभाग अपनी मर्जी से कोई कानून नहीं बना सकता सभी विभागों को और विभागों के अधिकारियों को संविधान के दायरे में रहते हुए नीति निर्धारण व कार्य करने होते हैं लेकिन आज सन 2018 चल रहा है और वर्तमान सरकार इन विभागों की गरिमा को गिराने में कोई भी कसर नहीं छोड़ रही है अपने निजी स्वार्थ हेतु।
विस्तार से -

इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया
     हमारे देश में लगभग लगभग 50-52 राजनीतिक दल हैं।
समय दर समय कानून व नियम अनुसार चुनाव कराए जाते हैं वर्तमान समय में चुनाव ईवीएम यानी के इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के द्वारा चुनाव कराए जाते हैं लेकिन देश में लगभग लगभग सभी राजनीतिक पार्टियां इस ईवीएम के खिलाफ है और सत्तारूढ़ सरकार इसका दुरुपयोग करके सत्ता हथियाए हुए हैं यह जगजाहिर है अनेकों राज्यों में अनेकों क्षेत्रों में ऐसी त्रुटियां ऐसे तथ्य सामने आए हैं कि ईवीएम को हैक करके उसका दुरुपयोग किया जा रहा है यही लोकतंत्र की हत्या है सत्तारूढ़ राजनीतिक पार्टी को छोड़कर बाकी सभी पार्टियां इस ईवीएम के खिलाफ हैं लेकिन वर्तमान सरकार ने इलेक्शन कमिशन ऑफ इंडिया को अंदर से खोखला बना दिया है और अपने पद का दुरुपयोग करके चुनाव आयोग की गरिमा को खत्म किया जा रहा है।

     जिससे कि देश में अघोषित आपातकाल जैसे हालात बने हुए हैं। योग्य व सुशील प्रत्याशी भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि सत्तारूढ़ पार्टी पूरी तरह से नियम कानून संविधान का उल्लंघन कर के कार्य कर रही है। बैलट पेपर की मांग लगभग सभी पार्टियां कर रही है लेकिन चुनाव आयोग इस पर कोई टिप्पणी नहीं दे पा रहा है वर्तमान सरकार ने उसे पंगु बना दिया है। एैसी परिस्थिति के चलते ही देश का लोकतंत्र खतरे में है।

 सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन
      सीबीआई हमारे भारत देश की सर्वोच्च जांच एजेंसी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन है लेकिन वर्तमान में इस एजेंसी को पिंजरे का तोता कहा जाता है ऐसा कहलवाने के लिए वर्तमान सरकार पूर्णतः जिम्मेदार है एजेंसी इसलिए बनाई जाती है कि बिना किसी दबाव बिना किसी के हस्तक्षेप के यह कार्य करे। लेकिन यह सत्तारूढ़ पार्टी इस जांच एजेंसी का दुरुपयोग करके अपने क्रिमिनल्स को बरी करा ले रही है और देश में जो इस एजेंसी की सर्वोच्चता की जो महत्वता थी जो रेपुटेशन थी उसको गिरा चुकी है खत्म कर चुकी है जैसे सरकार चाहेगी वैसे ही एजेंसी रिपोर्ट पेश करती है जिससे देश की सर्वोच्च एजेंसी स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर पा रही है।

     वर्तमान सत्तारूढ़ दल इसका भरपूर दुरुपयोग कर रहा है पूरे सिस्टम को अंदर से खोखला बना दिया है। होता कुछ और है लेकिन दिखाया कुछ और जा रहा है। ऐसी स्थिति से ही देश का लोकतंत्र खतरे में है।

इंडियन कॉन्स्टिट्यूशन
     भारतीय संविधान के अनुरूप ही देश में सभी विभाग कार्य करते हैं सभी विभागों के नियम व कानून उस तरीके से बनाए जाते हैं जिससे कि संविधान के नियमों का उल्लंघन ना हो लेकिन वर्तमान सरकार/सत्तारूढ़ दल संविधान की गरिमा को ठेस पहुंचा रहा है इस सरकार के संतरी व मंत्री समय समय पर अपनी गंदी टिप्पणी देते रहते हैं कि हम संविधान बदलने आए हैं वही मंत्री जो मंत्री पद की शपथ भी संविधान के अनुसार लेता है वह संविधान को बदलने की बात करता है वर्तमान सरकार नियमों को ताक पर रखकर कार्य करती जा रही है जिसमें आम जनता अपने हक के लिए तरस रही है लड़ रही है जूझ रही है लेकिन सत्तारूढ़ दल अपने पद का अपनी सरकार का दुरुपयोग कर अपने निजी हित के लिए कार्य कर रही है।

     देश की अर्थव्यवस्था लगातार गिरती जा रही है वर्तमान सरकार को इस से कोई लेना-देना नहीं अपने निजी स्वार्थ हेतु संविधान को ताक पर रखकर कार्य कर रही है इसे ही कहते हैं लोकतंत्र की हत्या करना।

रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया
     जी हां रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया एक स्वतंत्र विभाग है लेकिन वर्तमान सरकार/सत्तारूढ़ दल नियमों की अनदेखी कर किसी भी विभाग की साख को ताक पर रखकर अपने निजी स्वार्थ हेतु कार्यरत है देश में भुखमरी क्राइम बेरोजगारी बढ़ती ही जा रही है और देश की अर्थव्यवस्था लगातार गिरती जा रही है देश की वर्तमान सरकार पिछले साल नोटबंदी की घोषणा करके देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा चुकी है और झूठे प्रचार कर के देश की जनता को गुमराह कर रही है और उन्हीं के समुदाय के लोग उनके इस निर्णय को सही ठहराने के लिए वाहवाही करके प्रचार प्रसार में देश की जनता का महत्वपूर्ण पैसा जो कि डेवलपमेंट में यूज किया जा सकता है उसे व्यर्थ में गलत कार्यों को सही साबित करने के लिए गलत तरीके से चीजों का इस्तेमाल कर के प्रचार प्रसार में पैसे को व्यर्थ कर रही है नोटबंदी के बाद से ही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की साख को वर्तमान सरकार ने इस कदर गिरा दिया आज तक भी यह नहीं पता चल पाया कि नोटबंदी का निर्णय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया का था या वर्तमान सत्तारूढ़ सरकार का था।

     बैंक अभी तक यह सुनिश्चित नहीं कर पाया है कि नोटबंदी में कितना काला धन आया, नोटबंदी के दौरान कितने जाली नोट आए, नोटबंदी के दौरान कितना पुराना रुपया इकट्ठा हुआ, और कितना बाकी रह गया अलग अलग समय पर वर्तमान सत्तारूढ़ दल के लोगों के विभिन्न विभिन्न तरह के स्टेटमेंट आते रहते हैं उसे देखकर यही लगता है जिसका जब मन करे जैसे चाहे वैसे बोल देता है इसे ही कहते हैं घोषित आपातकाल इसे ही कहते हैं लोकतंत्र की हत्या करना।

सुप्रीम कोर्ट
     भारत देश की सर्वोच्च नयायपालिका सुप्रीम कोर्ट है और संविधान के दायरे में स्वतंत्र रूप से कार्य करती रही है लेकिन कुछ समय से यानी कि कुछ सालों से यह सर्वोच्च नयायपालिका स्वतंत्र रूप से अपना कार्य नहीं कर पा रही है वर्तमान सत्तारूढ़ सरकार अपनी शक्ति का गलत प्रयोग करके देश की सर्वोच्च नयायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचा रही है और अब यह बात जगजाहिर हो चुकी है कि जो कमेटी है चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया वह प्रेस कॉन्फ्रेंस करके यह बता चुकी है देश की जनता को, कि देश का लोकतंत्र खतरे में हैं (ये सरकार पूरे सिस्टम को अपने अनुसार जैसे चाहे वैसे चला रही है)उसे बचा लिया जाना चाहिए आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते देश की सर्वोच्च नयायपालिका के जज न्याय की गुहार लगा रहे हैं। सरकार जैसे चाहे अपने पक्ष में निर्णय करा ले रही है क्योंकि चंद लोग सरकार की चाटुकारिता करने में लीन हैं।

     पूरा देश जिस पर निसंदेह विश्वास करता है ये लोग उसे ही अपनी मर्ज़ी से चला रहे हैं अति का अंत निश्चित है। देश का लोकतंत्र खतरे में है इसे समय रहते बचा लिया जाना चाहिए अन्यथा इसके परिणाम सामने होंगे। वर्तमान सरकार देश के हर विभाग को अंदर ही अंदर खोखला कर रही है और कर चुकी है इसे ही कहते हैं अघोषित आपातकाल इसे ही कहते हैं लोकतंत्र की हत्या करना।

 अंत में मैं यही कहूंगा कि हमारे भारत देश में जितने भी महत्वपूर्ण विभाग हैं जिसमें चाहे वह सर्वोच्च नयायपालिका हो चुनाव आयोग हो देश का संचालन करने वाला संविधान हो वर्तमान सरकार अपनी शक्ति व पदों का दुरुपयोग करके नियमों को ताक पर रखकर विभागों को अंदर ही अंदर खोखला बनाने में लगी हुई है न जाने कौन सी रणनीति के तहत यह सरकार कार्य कर रही है इनकी कार्यशैली से देश के प्रत्येक विभाग की गरिमा गिरती जा रही है और देश की आम जनता का भरोसा इन विभागों से और इस वर्तमान सरकार से उठ चुका है देश की स्थिति अघोषित आपातकाल जैसी है और देश का लोकतंत्र खतरे में है समय रहते अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो इसके घातक परिणाम सामने होंगे।

                                                             📝
                                                        सोमवीर सिंह

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